फूलों का जीवन
बगीचे में फूल खिले,
देख उन्हें दुःख मिटे,
लगा, हुआ किसी का जन्म,
और हुआ मन प्रसन्न,
उन्हें महसूस कर लगा,
है कोई मेरा सगा,
जब भी बैठूं उदास,
वे ही देते मेरा साथ,
वे लगते कितने आकर्षित,
हो जाता मन प्रफुल्लित,
पर जब वे मुरझाते,
मेरे प्राण सूख जाते,
मैं मन में सोचती,
क्या हर प्राणी की मृत्यु होती ?
इश्वर की है लीला अपरम्पार,
कोई न जान पाया जीवन का सार |
- प्रियंका देवधर